उत्तम कंक्रीट निर्माण के साधारण तरीके

डा0 वाई0 पी0 गुप्ता
अध्यक्ष
यश कृषि तकनीकी एवं विज्ञान केन्द्र इलाहाबाद
प्रोफेसर एमिरीटस
म¨तीलाल नेहरू इंजीनियरी कालेज, इलाहाबाद
तकनीकि सलाहकार
नैनी ब्रिज, इलाहाबाद

अ: कंक्रीट के मौलिक अंश (घटक, अवयव) तथा इनका महत्व।
1. सीमेंण्ट:-
यह कंक्रीट के सभी मौलिक अंशों (बालू तथा बजरी) को आपस में जोड़ने वाला अवयव है। इसमें यह गुण तब आता है जब इसे पानी के साथ मिलाया जाता है।
ऽ सीमेन्ट के प्रकारः सीमेन्ट कई प्रकार के होते हैं। जैसे साधारण पोर्टलैण्ड सीमेन्ट, साधारण पोर्टलैण्ड पोजोलोना सीमेन्ट, स्लेग सीमेन्ट तथा श्वेत सीमेन्ट इत्यादि।
ऽ सीमेन्ट के पद (गेड):- 33, 43 एवं 53
ऽ सीमेन्ट का पद उसके प्रबलता का घोतक होता है।
ऽ सीमेन्ट का तामापन:- सीमेन्ट के प्रत्येक बोरियों पर उनके निर्माण सप्ताह एवं वर्ष अंकित रहता है। ताजा सीमेन्ट अच्छा तथा इसकी प्रबलता अधिक होती है, सामान्यतः सीमेंन्ट को इसके निर्माण तिथि से छः माह के भीतर उपयोग कर लेना चाहिए। लेकिन अच्छा रहेगा यदि इसे निर्माण तिथि के तीन से चार महिने के अन्दर उपयोग कर ले, क्योंकि इसके बाद इसकी प्रबलता घट सकती हैं।
ऽ सीमेन्ट का भांडारण नमी रहित भण्डार ग्रह में जमीन पर एटरा बिछाकर करना चाहिए।
2. बालू (महीन बजरी):-
ऽ आकार के अनुसार से बालू के सभी कण 4.75 एम. एम. से छोटा होना चाहिए। (ये मोटी (बड़े आकार वाले) बालू कहलताी है) तथा इसे माध्यम आकार के बालू के साथ मिलाकर अच्छा समुच्चय बना लेना चाहिए।
ऽ कंक्रीट में उपयोग आनेवाला बालू, धूल तथा दूसरे प्रकार के अशुद्धियों जैसे- कार्बनिक पदार्थ से मुक्त होना चाहिए।
ऽ बालू में उपस्थित नमी को इसे प्रयोग में लाने से पहले निर्धारित कर लेना चाहिए, जो कि 10 प्रतिशत तक हो सकता है तथा यह मौसम और उसके भाण्डारण पर निर्भर करता है। बालु में नमी की जितनी मात्रा मौजूद हो उतनी ही मात्रा पानी का कम कर देना चाहिए। साथ ही साथ बालू की उतनी ही मात्रा बढ़ा देना चाहिए।
3. बजरी:-
ऽ सामान्य कंक्रीट मिश्रण, जिसका इस्तेमाल भवन निर्माण में होता हैं उनमें बजरी का नाप 20 एम. एम. से कम होना चाहिए।
ऽ इसमें 10 एम. एम. के आकार वाला बजरी उचित मात्रा में मिला लिया जा सकता है।
ऽ बजरी का स्वरूप् प्रायः त्रिकोणात्मक होना चाहिए, तथा इसकी लम्बाई औसत आकर के 1.8 गुणा से ज्यादा और मोटाई औसत आकार के 0.6 गुणा से कम नहीं होना चाहिए।
ऽ मूलतः बजरी को कड़ा होना चाहिए जैसे-ग्रेनाइट या डोलेमाइट।
4. कंक्रीट में मिलाने वाला पानी:-
(क) कंक्रीट में पानी के कार्य एवं इसकी गुणवत्ता
ऽ कंक्रीट में पानी के तीन मुख्य कार्य है।
।ण् कंक्रीट में सीमेन्ट को पानी समान रूप् से वितरित कर देता है, जिससे कंक्रीट के सभी अवयवों पर सीमेन्ट की परत चढ़ जाती है और घटक या अवयव परस्पर सघन सम्पर्क में सट जाते हैं।
ठण् पानी सीमेन्ट के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है जिसे सीमेन्ट जमक र कठोर हो जाता है। इस विधि को जल संयोजन कहते हैं।
ब्ण् पानी कंक्रीट मिश्रण को ढीला कर देता है जिससे घनन से मिश्रण को व्यवहार में लाना सुविधा जनक हो जाता है। और उसे उठाना, रखना और यथास्थान जमना आसान हो जाता है।
ऽ कंक्रीट में उपयोग होने वाला पानी को अशुद्धियों से मुक्त होना चाहिए। सामान्यतः यह पानी पीने योग्य गुणवत्ता वाला होना चाहिए।
ऽ धरातल पर उपलब्ध या बोरिंग वाले पानी को उपयोग में लाने से पहले उसकी परीक्षण कराना आवश्यक होता है। क्योंकि इसमें मौजूद अशुद्धियों सीमेन्ट को रासायनिक प्रतिक्रिया, जमने का समय तथा कंक्रीट की प्रबलता को प्रभावित कर सकता है।
ऽ समुद्र का पानी कंक्रीट के लिए उपयुक्त नहीं होता हैं क्योंकि उसमें लवण उपस्थित होते हैं तथा यह इस्पात में जंग लगाने का कार्य करता है।
ऽ पानी में अनुमानित अधिकतम ठोस पदार्थों की सीमा निम्न हो सकती है।
कार्बनिक पदाथ 200 मि.ग्रा./ली.
अकार्बनिक पदाथ 3000 मि.ग्रा./ली.
सल्फेट ( 400 मि. ग्रा./ली.
क्लोराइड 5000 मि. ग्रा./ली.
निलम्बित पदार्थ 2000 मि. ग्रा./ली.
मान 6 से 8
(ख) पानी की मात्रा:-
आदर्शभूत 20छघ्उउ2 सामथ्र्य के कंक्रीट मिश्रण बनाने के लिए एक बोरी सीमेन्ट (50 कि.ग्रा.) में लगभग 30 कि. ग्रा. पानी की मात्रा की आवष्यकता होती है, जबकी इसका लगभग आधा मान ही रासायनिक प्रतिक्रिया में लगता है, शेष आधा पानी या तो कंक्रीट में मौजूद रहता है या जैसे जैसे कंक्रीट कठोर होता जाता है, यह पानी धरे-धीरे वाष्प् बनकर निकलने लगता है। और कंक्रीट में छोटे-छोटे छिद्र या खाली स्थान छोड़ जाते हैं, जिसे रिक्तयों कहते हैं। ये रिकत्यों कंक्रीट को कमजोर बनाती है। अतः जिस किसी कंक्रीट मिश्रण में मिलना वाला पानी जितना अधिक होगा वह उतनी ही दुर्बल होगी। इसलिए वह महत्वूपर्ण हो जाता है कि कंक्रीट में ज/रत से ज्यादा पानी नहीं डाला जाए।
पानी की कुल मात्रा जिसकी कंक्रीट मिश्रण में जरूरी है। उसका कुछ हिस्सा पहले से बालू में नमी के रूप् में मौजूद होता है, माना कि बालू में 6 प्रतिशत नमी मौजूद है तब 100 कि.ग्रा. बालू में 6 कि.ग्रा. पानी होगा तथा 94 कि.ग्रा. बालू होगा इसलिए पानी की कुल मात्रा से 6 कि.ग्रा. कम पानी डालना चाहिए। यदि एक बोरी सीमेन्ट में पानी की कूल मात्रा 30 कि.ग्रा. की जरूरत है तब केवल 24 कि.ग्रा. पानी ही डालना चाहिए तथा बालू की मात्रा 100 कि.ग्रा. से बढ़ाकर 106 कि.ग्रा. कर देना चाहिए। पानी की सही मात्रा मापने के लिए 15 ली. 5 ली. या 1 ली. के मापक का उपयोग करना अच्छा होता है।
5. पानी अधिमिश्रण वा सक्ररणीय सहायक:-
ताजे मिश्रित मसाले या कंक्रीटी सुकरणीदता को पानी की मात्रा को बढ़ाये बिना ही बढ़ाना या कम मात्रा में पानी मिलाकर मिश्रण की सुक्ररणीयता बजाए रखना ही अधिश्रिण का कार्य है ये अधिमिश्रण सामान्यतः प्लास्टीसाइजर या पानी ह्ासक अधिमिश्राण या सूपर प्लास्टीसाइजर कहलाते हैं। ये सभी बजारों में उपलब्ध है तथा इसे आसानी से उपयोग किया जा सकता है। प्रायः प्लास्टीसाइजर की मात्रा सीमेन्ट की मात्रा का 0.6 से 2 प्रतिशत तक कंक्रीट में मिलाया जा सकता है। जो कि कंक्रीट की सुकरणीयता पर निर्भर करता है।
ब: कंक्रीट मिश्रण।
कंक्रीट मिश्रण के लिए घटकों की मात्रा आदर्शभूत ड 20 ग्रेड पद के एक घन मीटर कंक्रीट में विभिन्न अवयवों या घटकों की मात्रा इस प्रकार हो सकती है, तथा इसे भवन निर्माण के नीव, छत, स्तम्भ, और धरन में प्रयोग किया जा सकता है।
ऽ सीमेन्ट:- इसकी मात्रा कंक्रीट की प्रबलता पर निर्भर करता है। आर्दशभूत ड 20 कंक्रीट मिश्रण के लिए लगभग 325 मि.ग्रा. सीमेन्ट (43 हतंकम या ठसमदकमक) कि आवश्यकता होती है। ( लगभग 1ः1.75ः3.5)
ऽ बालू:- एक घन मीटर ड 20 कंक्रीट मिश्रण में लगभग 700कि.ग्रा. बालू की आवश्यकता होती है। यह सीमेन्ट की मात्रा से लगभग दो गुणा होती है।
ऽ बजरी:- कंक्रीट में बजरी मात्रा पर्यापत होना चाहिए जिससे प्रबलता प्राप्त किया जाये। इसकी मात्रा एक घन मीटर कंक्रीट में लगभग 1250कि.ग्र. होती है, जो कि बालू की मात्रा से लगभग दो गुना हो सकती है।
ऽ पानी:- आदर्श भूत 20 छ/उउ2 प्रबलता वाले एक घन मीटर कंक्रीट में लगभग 190 किग्रा. पानी की आवश्यकता होती है। कंक्रीट में अधिमिश्रण का उपयोग करने पर पानी की मात्रा 160 कि.ग्रा. आवश्यकता होगी।
ऽ अधिमिश्रण: यदि अधिमिश्रण का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो इसकी मात्रा लगभग 2.0 कि.ग्रा. हो सकता है।

संक्षेप में एक बोरी सीमेन्ट के लिए कंक्रीट घटकों की मात्रा
सीमेन्ट 1 बोरी (50कि.ग्रा.)
बालू 93 कि. ग्रा.
बजरी 175 कि. ग्रा.
पानी 30 कि. ग्रा. (बिना अधिमिश्रण के)
25 कि. ग्रा. (अधिमिश्रण के साथ)
अधिमिश्रण 0.3 कि. ग्रा.
अनुपात लगभग 1ः 1.75ः3.5
स: कुछ सावधानियां:-
ऽ कंक्रीट के सभी घटकों को तौल कर मिलाने वाले यंत्र में अच्छती तरह से लेना होना चाहिए। यदि तौलने वाला यंत्र न हो तो भार को आयतन में बदलकर सभी घटकों का निश्चित आयतन माप कर साधारण मिश्रण यंत्र में मिलना चाहिए।
ऽ कंक्रीट को संरचना डाचे में बहुत ऊंचाई से नहीं गिराना या ढालना चाहिए तथा इसे कभी भी एक मीटर से अधिक ऊचाई से नहीं गिराना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से बजरी और मसाला अलग हो सकता है।
ऽ कक्रीट की सतह हो बिना सीमेन्ट को घोल डाले जल्द ही परिष्कृत कर लेना चाहिए।
ऽ कंक्रीट में जब से पानी मिलाया जाता है। उसके लगभग एक घण्टे के अन्दर उपयोग कर लेना चाहिए।
ऽ कंक्रीटिंग अत्यधिक गर्मी ( 380 सेटीग्रेट से अधिक) तथा अत्यधिक सर्दी (40 सेटीग्रेट से कम) में न करें।
छ: तराई:-
जैसा कि पूर्व में बताया जा चुका है कि सीमेन्ट चूना पत्थर से बनता है, जिसे बहुत पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए कंक्रीट तैयार होने के 24 घण्टे बाद या उसकी आरम्भिक जमने की क्रिया समाप्त होते ही इसे या तो पानी में डूबोया या ीाीगा कर रखना चाहिए। कंक्रीट की सतह को कम से कम 10 दिनों तक भीगा कर रखना चाहिए तब तक यह लगभग 75 प्रतिशत प्रबलता प्राप्त कर लेता है, इसके बाद भी इसे दो सप्ताह तक नम स्थिति में रखना चाहिए।
इन दिनों तराई यौगिक पदार्थ भी उपलब्ध है। ये मोम आधारित है। तथा इसे कंक्रीट के सतह पर आंरभिक जमने के बाद इसका लेप लगाया जाता है। तराई योगिक कंक्रीट की सतह पर ऊपरी/बाहरी परत के रूप में लगया जाता है। यह तराई यौगिक पानी आधारित होता है। जो लगभग चार सप्ताह मेें स्वतः खत्म हो जाते हैं, तथा ये कंक्रीट की सतह पर किसी प्रकार का स्थाई निशान नहीं छोड़ता है।

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डा0 वाई0 पी0 गुप्ता,
अध्यक्ष
यश कृषि तकनीकी एवं विज्ञान केन्द्र इलाहाबाद
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